Rawel Pushp


तब और अब (odotehun by Gurinder Singh Kalsi)

“तब और अब” अनुवाद: रावेल पुष्प
ओदों ते हुण गुरिंदर सिंह कलसी (पंजाबी)

अब कहां वे राजे- महाराजे 
जो भेष बदलकर 
सूनी अंधेरी गलियों में 
प्रजा का हाल पूछते फिरते थे 
उनका बोझा ढोते 
बेसहारों को उनके घर तक छोड़ आते 
 
अब भी हैं राजे- महाराजे 
गूंगे बहरे और अंधे 
जो प्रजा को ना तड़पते हुए देखते हैं 
और ना ही उनकी 
कोई बात ही सुनते हैं 
और मुंह से कुछ बोलते भी नहीं

“हमारी आवाजें” अनुवाद: रावेल पुष्प

(साडियां आवाज्जां) गुरिंदर सिंह कलसी (पंजाबी)

 हमारी आवाजें
  न कभी रूकी हैं, ना रुकेंगी
 ये धरती पर घिसट कर 
भले ही चलती हों, पर मरती नहीं 
ये पानी को पूजती 
पर तेज धाराओं में भी 
घुल नहीं जातीं/ थम नहीं जातीं
 कांटेदार तारों/ तीखे कीलों से डरती नहीं
  ये हवा की तरह 
चट्टानी दीवारों के ऊपर से भी 
सनसन करती हुई पार हो जाएंगी 
 
पर अभी ये रुकी हैं
 सब्र, सिदक और संतोष के गांव में 
ये हक और सच की आवाजें
 एक दिन, हां एक दिन 
अपना रंग जरूर दिखाएंगी
 और अपनी बात 
मुकम्मल तरीके से समझाएंगी!

Gurinder Singh Kalsi is an eminent Punjabi poet, painter and teacher based in Morinda in Punjab. He has a number of poetry anthologies to his credit.

<strong>Rawel Pushp</strong>
Rawel Pushp

Rawel Pushp is a prolific multilingual creative writer, translator, reviewer and columnist. He writes in Punjabi, Hindi and Bengali. He was the literary editor of an international Hindi Research magazine, Vaichariki. He has several important publications to his credit and is currently the president of Kolkata Translators’ Forum and a member of the Hindi academy, Government of West Bengal.