Bidyut Pal


हलधर सेना ( Haldhar Sena by Tanmay Bir)

“हलधर सेना” हिन्दी रूपान्तर – विद्युत पाल
तन्मय वीर रचित मूल बांग्ला कविता

हिमालय का सुगन्ध अपने बदन पर लेप 
स्पर्श की है गहराई रहस्यलोक की
मैदानों की नाभि पर सर रख सोता हूँ
तुच्छ लोग समझते हो हमें?
 
रोम रोम में दहकती है बालियों की ओस
स्वप्न में इकट्ठा कर रखा है धान से भरा खलिहान
हथेली पर हैं गंगा रावी रेवा भीमा
कान रोप सुनते हैं हम बिजलियों का गीत।
 
कंधों पर उठाए हल गैंती कुदाल
निवारे हैं हम अहल्या का शोक
पोषण पसीने का है ईख गेंहु और जौ में 
आदिम अनन्त मनुष्यता हैं हम।
 
रोज डुबाते, रुलाते, बहाते हो हमें
सर तक जला, काट करते हो टुकड़े हमारे
मौत से लौट चुके हैं हम इस बार – 
खत्म होगा रावणवध से यह दशहरा।

Tanmay Bir is an Associate Professor of Bengali in Sarsuna College, researcher and poet. His major area of research interest is ‘Bengali literature beyond Bengal’. He has been widely published and has several published works to his credit, including research monographs and poetry anthology.

<strong>Bidyut Pal</strong>
Bidyut Pal

Bidyut Pal, born in 1952, is a resident of Patna. He is a retired Banking official and has led a politically active life. Apart from his own creative writings, he has also been the editor of Behar Herald. He also has an avid interest in music all across the world. Some of his published anthologies of poetry are Ajker Dintar Jonne and Samudra du bhabedake.